Chhattisgarh : गलत इलाज से दो बच्चों की मौत, हालत बिगड़ते ही भेजा अस्पताल; एक्शन की तैयारी में प्रशासन

Gorella-Pendra-Marwahi News : जिले में एक सप्ताह के भीतर दो अलग-अलग मामलों में दो आदिवासी बच्चों की झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के चलते मौत होने का मामला सामने आया है। जहां पर पहला मामला मरवाही क्षेत्र का है, जिसमें एक 14 साल की स्कूली छात्रा की इलाज का ठेका 1300 रुपये में किया और जब हालात बिगड़ी तो शासकीय अस्पताल भेज दिया। जहां पर उसकी मौत हो गई।

तो दूसरा मामला गौरेला के शासकीय छात्रावास में रहने वाले 12 साल के छात्र की जान का है। उसके गांव के झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज में जान चली गई। फिलहाल, मामले में जिला प्रशासन गम्भीर है। कड़ी कार्यवाही करने की बात कह रहा है।

दरअसल, आदिवासी बाहुल्य जीपीएम जिले में बीते एक सप्ताह के भीतर दो अलग अलग मामलों में दो आदिवासी बच्चों की झोलाछाप डॉक्टरो के गलत इलाज के चलते काल के गाल में समा गए है। पहला मामला मरवाही विकास खण्ड के चिचगोहना के बरझोरखी की रहने वाली 14 साल की छात्रा उमा उरैती से जुड़ा हुआ है। जिसकी तबियत खराब होने पर किसी के द्वारा बतलाया गया कि निमधा गांव में रहने वाला प्रदीप जायसवाल जो कि पेशे से शासकीय शिक्षक है और निमधा के बस स्टैंड में उसकी पत्नी की वर्षा मेडिकल स्टोर भी है। वहां इलाज करता है।

वहीं दूसरा मामला गौरेला के टिकरकला आदिवासी प्री मैट्रिक छात्रावास का है। जहां पर छात्रावास प्रबंधन की बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है। जिसमें एक आदिवासी बच्चे की जान चली गई। दरअसल, कोटमीखुर्द के रहने वाले महिपाल कवर अपने बेटे आयुष कवर को बेहतर शिक्षा के लिए जिला मुख्यालय में स्थित आदिवासी छात्रावास में दाखिला करा दिया। बीती दो जुलाई को उसे छात्रावास में छोड़ आए। पर अचानक 12 जुलाई को हॉस्टल से बच्चे के परिजनों को फोन आया कि आपका बेटा आयुष की तबियत ठीक नहीं है। उसे सर्दी खांसी है।

Chhattisgarh : गलत इलाज से दो बच्चों की मौत, हालत बिगड़ते ही भेजा अस्पताल; एक्शन की तैयारी में प्रशासन

परिजन बच्चे को लेने 13 जुलाई को हॉस्टल पहुंचे और उसे लेकर बस से अपने गांव कोटमीखुर्द आ गए। जहां से वे सीधे आयुष को लेकर गांव के मुड़ा टिकरा में रहने वाले चन्द्रभान पैकरा जो गांव में झोलाछाप डॉक्टरी करता था। उसके पास ले आए। झोलाछाप डॉक्टर चन्द्रभान ने बच्चे के हाथ में इंजेक्शन लगाया। जिसके बाद बच्चे की तबियत बिगड़ने लगी और झोलाछाप डॉक्टर घबराकर बच्चे को बस्ती गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया। जहां पर मौजूद डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया।