दरिंदगी से पहले का सच, झूठ पकड़ने की मशीन और 53 सबूत… जानें संजय रॉय ने उस रात क्या-क्या किया?

दरिंदगी से पहले का सच, झूठ पकड़ने की मशीन और 53 सबूत… जानें संजय रॉय ने उस रात क्या-क्या किया?

क्या कोई रेप और कत्ल जैसी भयानक वारदात को अंजाम दे कर भी बिल्कुल बेफिक्र और बेशिकन रह सकता है? क्या पुलिस जिसकी तलाश कर रही हो, वो ये जानते हुए भी शराब पीकर पुलिस के बैरक में ही चैन की नींद सो सकता है?

क्या कोई पुलिस के उसे ढूंढने की बात सुन कर जवाब में, इत्मीनान से “मैं देखता हूं” जैसी बात कह सकता है. सवाल अजीब हैं, लेकिन कोलकाता के आरजी कर रेप केस के आरोपी संजय रॉय का सच कुछ ऐसा ही है. कोलकाता पुलिस ने 9 अगस्त को जब संजय रॉय को गिरफ्तार किया, तो वो अस्पताल में तैनात कोलकाता पुलिस के फोर्थ बटालियन के बैरक में सोता हुआ मिला.

संजय रॉय की गिरफ्तारी से पहले और बाद जिस तरह एक के बाद एक वारदात की कड़ियां उससे जुड़ती चली गईं, उसने ना सिर्फ वारदात के सच को बल्कि उससे संजय के कनेक्शन को भी बिल्कुल साफ कर दिया. 8 अगस्त की शाम से लेकर 8 और 9 अगस्त की दरम्यानी रात को अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर का कत्ल करने और फिर अगले दिन खुद के गिरफ्तार होने से पहले तक सीसीटीवी कैमरों से लेकर मोबाइल फोन की लोकेशन, सीडीआर और चश्मदीदों के हवाले से उसकी जो गतिविधि सामने आई है, वो चौंकाने वाली है. 9 अगस्त को डॉक्टर के कत्ल की खबर मिलने पर कोलकाता पुलिस मामले की जांच शुरू की थी.

कोलकाता पुलिस ने सबसे पहले उसने अस्पताल के इमरजेंसी बिल्डिंग और सेमिनार हॉल के इर्द-गिर्द लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को ही खंगालना शुरू किया. इस कोशिश में उसे सेमिनार हॉल के इर्द-गिर्द कम से कम 15 लोग नज़र आए, जिनसे पुलिस ने पूछताछ की. चूंकि इन सारे के सारे लोगों का क़त्ल के कोई लेना-देना नहीं था, तो इन्होंने पुलिस के जवाबों का सही-सही उतर दिया और शक के दायरे से बाहर निकल गए. लेकिन एक शख्स ऐसा था, जो अब भी पुलिस की जद में नहीं आया था, क्योंकि वो वारदात को अंजाम देने के बाद पुलिस के बैरक में ही जाकर सो गया था. वो भी नशे में धुत होकर.

चूंकि अब तक पुलिस ट्रेनी डॉक्टर के क़त्ल की टाइमिंग मोटे तौर पर पता कर चुकी थी, उसने 8 और 9 अगस्त की रात 3 से 4 बजे के बीच की सीसीटीवी फुटेज पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया. इस दौरान फुटेज में संजय रॉय ही सेमिनार रूम के इर्द-गिर्द नजर आया. अब चूंकि संजय राय दूसरे सीसीटीवी फुटेज में इसी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के पास आता-जाता हुआ दिख रहा था, तो पुलिस ने संजय के सीसीवीटी फुटेज का ग्रैब निकाल कर उसे अस्पताल में भर्ती मरीज को दिखाया ये मरीज और कोई नहीं बल्कि एक और सिविक वॉलेंटियर सौरभ का भाई था, जो उसी अस्पताल में कुछ समय से भर्ती था.

इसी भाई को जब संजय रॉय की तस्वीर दिखाई गई, तो उसने देखते ही संजय को पहचान लिया और उसके बारे में पुलिस को जानकारी दी. उधर, शाम तक वारदात का शिकार बनी ट्रेनी डॉक्टर का पोस्टमार्टम हो चुका था और पोस्टमार्टम से ये साफ हो चुका था डॉक्टर की मौत रात के खाने के करीब 4 घंटे बाद हुई है. चूंकि रात के खाने का वक्त करीब 12 बजे का था, तो ये बात भी साफ हो गई कि डॉक्टर की हत्या चार बजे के आस-पास की गई. उधर, सीसीटीवी फुटेज में भी संजय रॉय करीब 4 बजे ही सेमिनार हॉल की तरफ जाता हुआ दिख रहा था, ऐसे में दूसरे सबूतों के साथ-साथ सीसीटीवी फुटेज भी इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि इस मामले में संजय ही शामिल है. हालांकि संजय अब तक पुलिस की जद में नहीं आया था. वो पुलिस की पकड़ से उस वक्त तक बाहर था.

दोपहर को जब सौरभ के भाई ने संजय रॉय की पहचान तो कर ली, लेकिन अब तक सौरभ को नहीं पता था कि पुलिस संजय को खोज रही है. इसी बीच उसने संजय को फोन कर दोपहर के खाने के लिए बुलाया. अभी संजय रास्ते में ही था, तब तक सौरभ को उसके भाई ने फोन पर ये जानकारी दी कि पुलिस अस्पताल के सेमिनार रूम में हुए डॉक्टर के रेप और क़त्ल के मामले में संजय को ढूंढ रही है. ये सुन कर सौरभ हक्का बक्का रह गया. हालांकि संजय के पहुंचने पर सौरभ ने उसे लंच सर्व किया और साथ ही उसे बताया कि अस्पताल में हुई हत्या के सिलसिले में पुलिस उसे ढूंढ रही है. लेकिन सौरभ ये देख कर हैरान रह गया कि बेशिकन संजय ने सिर्फ मैं देखता हूं कह कर बात टाल दी. इसके बाद उसने खाना नहीं खाया, लेकिन बैरक में पहुंच कर उसने फिर से शराब पी.

इसके बाद फिर वहीं सो गया. कोलकाता पुलिस जब उसको ढूंढती हुई, पुलिस के बैरक में पहुंची, तो नशे में धुत्त वो वहीं सोता हुआ मिला. गिरफ्तारी के फौरन बाद ही उसने ना सिर्फ अपना जुर्म कबूल लिया, बल्कि पुलिस से कहा, “मुझे फांसी दे दो…” लेकिन ये सिर्फ गिरफ्तारी के वक्त की बात नहीं है, गिरफ्तारी के अगले दिन भी संजय रॉय के चेहरे पर कोई अफसोस नहीं था, बल्कि वो पूछताछ में बहुत आराम से सारी बातें कबूल कर रहा था, पुलिस को पूरी सिक्वेंस समझा रहा था. इस बीच पुलिस ने संजय के दोस्त सौरभ से भी पूछताछ की, जो वारदात से पहली रात उसके साथ था.

दरिंदगी से पहले का सच, झूठ पकड़ने की मशीन और 53 सबूत… जानें संजय रॉय ने उस रात क्या-क्या किया?

सौरभ भी संजय की तरह ही एक सिविक वॉलेंटियर है. उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि 8 अगस्त को उसने अपने भाई को इलाज के लिए आरजी कर अस्पताल में भर्ती करवाया था. वो दोपहर को डेढ़ बजे अपने भाई को अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए अस्पताल के रिशेप्सन पर गया था. वहां उसने पूछताछ की और भर्ती हो जाने के बाद रात को साढ़े दस बजे वो फिर से अस्पताल पहुंचा. वहां संजय भी सौरभ के पास आ गया. इसके बाद सौरभ और संजय दोनों ने मरीज को अस्पताल में छोड़ कर बाहर गए और उन्होंने शराब पी. इसके बाद दोनों पहले नॉर्थ कोलकाता में मौजूद रेड लाइट एरिया सोनागाछी गए.

वहां सौरभ तो एक अड्डे के अंदर चला गया, लेकिन संजय बाहर ही खड़ा रहा. चंकि संजय को सोनागाछी में अड्डे के अंदर जाने का मौका नहीं मिला, जब सौरभ बाहर आया, तो दोनों ने शहर के ही एक दूसरे जिस्मफरोशी के अड्डे चेतला में जाने का फैसला किया. चेतला साउथ कोलकाता में है और सोनागाछी से इसकी दूरी करीब 15 किलोमीटर है. 8 और 9 की रात को दोनों सोनागाछी से निकल बाइक से ही चेतला पहुंचे, लेकिन संजय को अंदर जाने का मौका नहीं मिला. संजय का दोस्त सौरभ जिस्मफरोसी के अड्डे के अंदर गया था, लेकिन संजय बाहर की खड़ा रहा. तफ्तीश में साफ हुआ है कि वहां खड़े खड़े ही उस रात संजय ने अपनी गर्लफ्रेंड को फोन किया था और उससे वीडियो कॉल पर बात की थी. गर्लफ्रेंड से उसकी कुछ प्राइवेट तस्वीरें भी मांगी.

संजय रॉय दूसरे जिस्म फरोशी के अड्डे पर पहुंच कर भी किसी से रिश्ते बनाने में नाकाम रहा. जब पुलिस ने इस सिलसिले में उससे पूछताछ की, तो उसने कहा कि उसके पास पैसे नहीं थे. हालांकि पुलिस को उसके इस जवाब पर यकीन नहीं हुआ, क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके दिमाग में तब तक किसी वारदात को अंजाम देने की साजिश कुलबुलाने लगी थी, इसलिए उसने जिस्मफरोशी के अड्डे में पहुंच कर भी किसी से रिलेशन नहीं बनाया. पूछताछ में सौरभ ने पुलिस को बताया कि उसे बाइक चलानी नहीं आती है. इसलिए उस रात शऱाब पिए होने के बावजूद बाइक संजय ही चलाता रहा. जब दो-दो रेड लाइट एरिया से घूम कर दोनों आरजी कर अस्पताल के पास पहुंच गए, तो संजय फोर्थ बटालियन की ओर जाने की जगह अस्पताल की तरफ बढ़ गया.

इस पर सौरभ ने उससे पूछा कि क्या वो फोर्थ बटालियन की तरफ नहीं जाएगा, तो उसने कहा कि वो जाएगा. तभी रात के करीब पौने तीन बज रहे थे. सौरभ ने बताया कि आरजी कर अस्पताल की तरफ से भी एक सड़क फोर्थ बटालियन की तरफ जाती है, इसलिए उसे लगा कि शायद संजय घूम कर उसी रास्ते से फोर्थ बटालियन पहुंच जाए. पूछताछ में सौरभ ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता कि इसके बाद संजय कब बैरक में लौटा. अगले दिन सुबह 10 बजे उन्हें अस्पताल में भर्ती अपने भाई के पास जाना था. इसके लिए जब वो संजय को जगाने में बैरक में पहुंचा, तो वो गहरी नींद में सो रहा था.

दो बार जगाने की कोशिश करने के बावजूद वो नहीं उठा. सौरभ का कहना है कि इसके बाद वो अकेला ही अस्पताल चला गया और वहां उसने डॉक्टरों से बात की. 9 अगस्त की दोपहर को डॉक्टरों से मुलाकात के बाद सौरभ ने कई बार संजय को फोन किया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. असल में वो संजय को साथ में लंच करने के लिए बुलाना चाहता था. इसके बाद जब तक संजय सौरभ के पास पहुंचा, तो वो लंच कर चुका था. सौरभ ने उसे आरजी कर में हुई वारदात के बारे बताया और उसके बारे में पता करने को कहा, क्योंकि संजय की कई लोगों से जान-पहचान थी. इस पर उसने कहा कि वो चेक कर रहा है.

सौरभ की मानें तो इसके बाद वो टॉयलेट जाने की बात कह कर निकला और फरार हो गया. उसने पुलिस को बताया कि इसके बाद उसने संजय को साथ में अस्पताल चलने के लिए कई बार कहा, लेकिन हर बार वो बचता रहा. आखिर में उसने एक दोस्त के साथ शराब पार्टी करने की बात कही और अस्पताल जाने से मना कर दिया. संजय बेशक आरजी कर अस्पताल नहीं जाना चाहता था, लेकिन वारदात के अगले दिन 9 अगस्त के रोज भी वो बेहद रिलैक्स्ड और खुश दिख रहा था. उसे 9 अगस्त की रात 12 बजे ये पता चला कि पुलिस संजय को उस केस में गिरफ्तार करना चाहती है, उसने संजय को कई बार फोन किया.

फिलहाल कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए रेप और मर्डर का मुल्जिम संजय रॉय जेल में है. उसको पहले कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था और फिर केस सीबीआई को ट्रांसफर होने के बाद पुलिस ने उसे उसके हवाले कर दिया. लेकिन आख़िर संजय के खिलाफ वो कौन से सबूत हैं, जिसके चलते पहले पुलिस और अब सीबीआई भी उसे ही इस केस का इकलौता मुल्जिम मान कर चल रही है, तो जवाब है. 53 से ज्यादा वो सबूत जो, कोलकाता पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच के बाद सीबीआई के हवाले किए हैं.

इन सबूतों में टेक्निकल एविडेंस से लेकर मौका-ए-वारदात और संजय के पास से बरामद वो चीज़ें भी शामिल हैं, जिन्होंने संजय को फंसा दिया है. वारदात के बाद पुलिस को संजय रॉय का सीसीटीवी फुटेज तो पहले ही मिल गया था, जिसमें वो अस्पताल के सेमिनार हॉल की तरफ जाता हुआ दिख रहा था. इसके बाद मौके से उसका टूटा हुआ ब्लू टूथ नेकबैंड भी मिला, जिसकी पेयरिंग उसके मोबाइल फोन के साथ थी, ये भी उसके पकड़े जाने की एक अहम वजह साबित हुई. इसके अलावा भी 9 अगस्त की रात 8.30 से 9.45 बजे तक फॉरेंसिक साइंस लैब्रोटरी के एक्सपर्ट्स ने मौका-ए-वारदात से करीब 40 से ज़्यादा एग्जीबिट्स यानी नमूने इकट्ठा किए और इनकी बाकायदा वीडियोग्राफी की गई.

ये सारे के सारे एग्जीबिट्स इसी बात की तरफ ईशारा करते हैं कि मुल्जिम कोई और नहीं, बल्कि संजय ही है. सबूत इकट्ठा करने की इस प्रक्रिया के दौरान पुलिस ने कई स्वतंत्र गवाहों और डॉक्टर्स के बयान को भी दर्ज किया. और तो और जब पुलिस ने संजय रॉय को 9 अगस्त को गिरफ्तार किया, तो उसके शरीर पर पिछली रात ट्रेनी डॉक्टर के साथ की गई मारपीट और ज्यादती के निशान मौजूद थे. इस दौरान पुलिस ने संजय रॉय का मेडिकल टेस्ट करवाया गया था, जिसमें उसके हांथ पर और जांघ पर खंरोच के ताजा निशान पाए गए.

कोलकाता पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सुपरविजन में संजय रॉय के मोबाइल फोन का सारा डाटा इकट्ठा किया. इसमें वारदात के वक्त उसके मोबाइल फोन की लोकेशन का आरजी कर अस्पताल के इमरजेंसी बिल्डिंग के आस-पास होने की बात भी साबित होती है. इसके अलावा वो जहां से ट्रैवल कर यहां तक पहुंचा और जहां-जहां रुका, वो सब मोबाइल फोन में दर्ज है. इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज तो खैर है ही. पुलिस को उसके मोबाइल फोन से उसकी गर्लफ्रेंड की प्राइवेट तस्वीर के साथ-साथ वो अजीबोगरीब पोर्न वीडियोज़ भी हाथ लगे हैं.

इन वीडियोज को आम इंसान नहीं देख सकता. ये वीडियो रिश्ते नातों से परे और बेहद हिंसक हैं. ट्रेनी डॉक्टर की लाश और आस-पास की कुछ चीजों पर उसके फिंगर प्रिंट के निशान भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को मिले हैं. इसके अलावा वारदात के दौरान पहने गए उसके कपड़े, इनर गारमेंट्स, चप्पल में मौजूद ट्रेनी डॉक्टर के खून के निशान सबकुछ पुलिस के पास है. और तो और संजय रॉय के ब्लड सैंपल भी मौके पर मिले खून के कुछ धब्बों से मैच कर गया है. सीमन और दूसरे बॉडी फ्लूइड भी संजय के डीएनए से मैच करते हैं.

ये संजय के खिलाफ बेहद अहम सबूत हैं. इसके अलावा कोलकाता के श्याम बाजार इलाके में मौजूद एक बैंक के सीसीटीवी कैमरों में कैद संजय की कुछ तस्वीरें उसके मूवमेंट की तस्दीक करते हैं. इन्हें भी पुलिस ने सुरक्षित रख लिया था, जिन्हें अब सीबीआई के हवाले कर दिया गया है. कुछ रोज़ पहले तक ये सवाल हर किसी की जुबान पर था कि क्या इस वारदात को अकेले संजय ने ही अंजाम दिया या फिर कोई और भी उसके साथ थी. लेकिन तमाम टेक्निकल एविडेंस और दूसरे सबूतों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि 8 और 9 अगस्त की रात संजय रॉय ने अकेले ही ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर को अंजाम दिया. और अब सीबीआई इन्हीं सबूतों की बिनाह पर संजय के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी में है.चंपाई सोरेन को मिली Z+ सुरक्षा,भाजपा में शामिल होने की घोषणा…