केरल में नहीं थमती दिख रही तबाही, 6 साल में 714 लोग मारे गए; वायनाड के भूस्खलन की वजह क्या
केरल : ‘ईश्वर का अपना देश’ कहे जाने वाले केरल को नेशनल जियोग्राफिक ने दुनिया के 10 पैरेडाइज या स्वर्ग में शामिल किया था, लेकिन मंगलवार को इस राज्य ने नरक जैसे हालात का सामना किया। वायनाड में हुए भूस्खलन में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों को बचाया जा चुका है। सेना, एनडीआरएफ और कई एजेंसियां लापता लोगों का पता लगाने और मुश्किल में फंसी जनता को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। बुधवार को भी यह सिलसिला जारी है और मौसम की तरफ से भी फिलहाल केरल को राहत के आसार कम हैं।
कहां हुआ सबसे ज्यादा असर
वायनाड में 4 घंटे के दौरान आई इस त्रासदी ने हजारों को प्रभावित किया है। इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित जिले मुड्डकई, चूरामाला, अट्टमाला और नूलपुझा रहे। आशंका यह भी जताई जा रही है कि कई लोग चालियार नदी में बह गए हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि सेना की मदद से अस्थाई पुल का इस्तेमाल कर एक हजार से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है।
क्या हो सकती है केरल में तबाही की वजह?
कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (CUSAT) में वायुमंडलीय रडार अनुसंधान आधुनिक केंद्र के निदेशक एस. अभिलाष ने कहा कि सक्रिय मानसूनी अपतटीय निम्न दाब क्षेत्र के कारण कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिलों में भारी वर्षा हो रही है, जिसके कारण पिछले दो सप्ताह से पूरा कोंकण क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दो सप्ताह की वर्षा के बाद मिट्टी भुरभुरी हो गई।
अभिलाष ने कहा कि सोमवार को अरब सागर में तट पर एक गहरी ‘मेसोस्केल’ मेघ प्रणाली का निर्माण हुआ और इसके कारण वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में अत्यंत भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हुआ।
अभिलाष ने कहा, ‘बादल बहुत घने थे, ठीक वैसे ही जैसे 2019 में केरल में आई बाढ़ के दौरान नजर आये थे।’ उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत घने बादल बनने की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ये प्रणालियां स्थल क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं, जैसे कि 2019 में हुआ था। अभिलाष ने कहा, ‘हमारे शोध में पता चला कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तापमान बढ़ रहा है, जिससे केरल समेत इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मगतिकीय (थर्मोडायनेमिकली) रूप से अस्थिर हो गया है।’ वैज्ञानिक ने कहा, ‘घने बादलों के बनने में सहायक यह वायुमंडलीय अस्थिरता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है।
आंकड़ों में समझें
वायनाड में प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए 45 कैंप तैयार किए गए हैं, जहां 3 हजार 96 लोगों को रखा गया है। मेडिकल टीम समेत सेना के 225 जवानों को बचाव कार्य के लिए जिले में तैनात किया गया है। वहीं, 140 जवान तिरुवनंतपुरम में स्टैंड बाय पर बताए जा रहे हैं। राहत कार्य के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) के 2 हेलीकॉप्टर Mi-17 और ALH लगाए गए हैं। अब तक 143 लोग भूस्खलन में जान गंवा चुके हैं।
बचाए गए और घायल हुए 120 से ज्यादा लोगों का वायनाड के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा है कि 116 शवों का पोस्टमॉर्टम पूरा हो चुका है।एक सप्ताह पहले दी थी चेतावनी, केरल सरकार ने कुछ नहीं किया; वायनाड त्रासदी पर शाह का दावा