देश में वायु प्रदूषण से हुईं कितनी मौतें? राज्यसभा में केंद्र सरकार ने दिया हैरान करने वाला जवाब
देश में वायु प्रदूषण: स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि देश में वायु प्रदूषण से होने वाली मौत या इससे होने वाली किसी बीमारी को लेकर कोई कंक्लूजिव डेटा सरकार के पास नहीं है.
अनुप्रिया पटेल ने एक लिखित जवाब में कहा, हालांकि सांस संबंधी बीमारियों और स्वास्थ्य परेशानियों को बढ़ावा देने का एक कारण वायु प्रदूषण जरूर है. वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव का असर खान-पान, काम-काज की आदतें, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, मेडिकल हिस्ट्री समेत कई अन्य चीजों पर देखा जा सकता है. अनुप्रिया पटेल ने कहा, ‘भारत सरकार ने वायु प्रदूषण के मुद्दों के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं.’ आगे विस्तार से बताते हुए, पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को स्वच्छ एलपीजी प्रदान करके उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना है.
उन्होंने कहा, ‘स्वच्छ हवा स्वच्छ भारत का एक अभिन्न अंग है.’ अनुप्रिया पटेल ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया गया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW) ने जागरूकता, क्षमता निर्माण, स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारी और प्रतिक्रिया पैदा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) में जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCCHH) लॉन्च किया.
अब कार्यक्रम का विस्तार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हो गया है और जलवायु संवेदनशील बीमारियों पर प्रशिक्षण, तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों और गर्मी से संबंधित बीमारियों पर निगरानी, सूचना का सृजन और प्रसार, शिक्षा और संचार (आईईसी) ऑन एयर के रूप में गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. प्रदूषण और गर्मी और इसका प्रभाव बच्चों के स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य पर पड़ता है.
इसके अलावा, ‘वायु प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव’ पर दिशानिर्देश 2020 में जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत हिंदी और अंग्रेजी दोनों में विकसित किए गए हैं और कार्यान्वयन के लिए राज्यों के साथ साझा किए गए हैं. इस बीच राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने तीन साल के भीतर जलमल शोधन संयंत्र स्थापित करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन नहीं करने पर उत्तर प्रदेश के पर्यावरण सचिव से जवाब मांगा है.
अधिकरण वाराणसी में कई स्थानों पर गंगा नदी में सीवेज और घरेलू एवं अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट जल छोड़े जाने के मामले की सुनवाई कर रहा था. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने आठ जुलाई को एक नयी रिपोर्ट दाखिल की थी. रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी नगर निगम के अंतर्गत आंशिक रूप से बंद किए गए तीन वे नाले हैं जो गंगा नदी में अनुपचारित अपशिष्ट जल गिराते हैं.UP Vidhan Sabha: सीएम योगी बोले- चाचा को गच्चा दिया, शिवपाल यादव दिया जवाब- हम तो 3 साल तक आपके संपर्क में रहे तो गच्चा आपने भी दिया