कांग्रेस की नजर अभी से यू.पी. विधानसभा चुनावों पर, दलित समुदाय को साथ जोड़ने की रणनीति तैयार

कांग्रेस की नजर अभी से यू.पी. विधानसभा चुनावों पर, दलित समुदाय को साथ जोड़ने की रणनीति तैयार

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावी नतीजों से संजीवनी मिलने के बाद कांग्रेस ने 2027 विधानसभा चुनावों के लिए अभी से रणनीति तैयार करने शुरू कर दी है। कांग्रेस ने दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ने के लिए एक व्यापक संपर्क अभियान चलाने का खाका तैयार किया है।

इस संपर्क अभियान में दलितों के बीच विशेष सदस्यता कार्यक्रम, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली दलित व्यक्तित्वों की पहचान करना, उनके मुद्दों पर चर्चा करने के लिए संभाग स्तरीय सम्मेलन और जिला स्तरीय दलित चौपाल कार्यक्रम आयोजित करना शामिल होगा। लखनऊ में राज्य कांग्रेस मुख्यालय में हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में राज्य भर के प्रमुख दलित नेताओं के सुझावों को सुनने के बाद पार्टी ने 15 दिवसीय विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया। पी.एम. मोदी और सी.एम. योगी के गढ़ में होंगे सम्मेलन सूत्रों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कार्यक्रम की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पहले चार सम्मेलन पूर्वी यूपी में सी.एम. योगी आदित्यनाथ का क्षेत्र गोरखपुर, लखनऊ (मध्य यू.पी.), पी.एम. नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी (पूर्वी यू.पी) और मेरठ (पश्चिमी यूपी) में आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है।

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के निर्देश के बाद ये कदम उठाए गए हैं। यू.पी. कांग्रेस के अनुसूचित जाति (एस.सी.) विभाग के प्रमुख और यू.पी. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष आलोक प्रसाद के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दलित परंपरागत रूप से हमारे समर्थक रहे हैं, लेकिन बीच में कुछ गलतफहमियों के कारण वे समय के साथ हमसे दूर हो गए थे।

हालांकि हाल के चुनावों में उन्होंने संविधान के नाम पर या राहुल गांधी की वजह से हमारा समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर दलित हमारा समर्थन करने के लिए एक कदम बढ़ाते हैं, तो अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनसे संपर्क करने के लिए एक और कदम बढ़ाएं। 1,000 प्रमुख दलित चेहरों को साथ जोड़ेगी पार्टी कांग्रेस नेता ने कहा कि दलितों की जमीन हड़पने, आरक्षण का लाभ उठाने से जुड़े मुद्दे और छात्रवृत्ति के नाम पर लोगों को बरगलाने आदि के मामले सामने आए हैं। अब उनकी समस्याओं को सुनने और समाधान खोजने की बारी हमारी है।

प्रसाद ने कहा कि गोरखपुर से मंडल स्तरीय दलित सम्मेलन शुरू करने के बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 1,000 प्रमुख दलित चेहरों को जोड़ने के लिए सदस्यता अभियान शुरू किया जाएगा। पार्टी की जिला इकाइयों के साथ समन्वय में दलितों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में हर पखवाड़े कम से कम एक बार दलित चौपाल का आयोजन किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि पार्टी जमीनी स्तर पर अपनी एससी इकाई को मजबूत करने के लिए संगठन में प्रमुख दलित चेहरों को नई जिम्मेदारियां देने पर विचार कर रही है। पार्टी समुदाय के पेशेवरों से संपर्क करने की भी योजना बना रही है।

इनमें डॉक्टर, शिक्षक और अन्य कई पेशवरों के मुद्दों को उठाने की रणनीति भी शामिल है। भाजपा से कैसे छिटक गया दलित वोट बैंक राजनीतिक जानकारों का कहना है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद को लोकसभा उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित करने के विपक्ष के प्रयास के बाद भाजपा दलित वर्ग को लेकर रक्षात्मक स्थिति में है। कांग्रेस के भीतर कई लोगों को लगता है कि प्रसाद को प्रमुखता देने से दलितों के बीच यह संदेश जाएगा कि इंडिया ब्लॉक समुदाय के सदस्यों को नेतृत्व की भूमिका देने के लिए तैयार है। प्रसाद एक पासी दलित हैं, यह एक ऐसा समुदाय जो राज्य की कई सीटों पर निर्णायक की भूमिका अदा करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा की आंतरिक समीक्षा के अनुसार भी दलित वोटों का सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर जाना भारी नुकसानदेह रहा है। पार्टी के आकलन के अनुसार बसपा के मुख्य जाटव दलित वोटों में से लगभग 6 फीसदी वोट संविधान बचाओ अभियान के कारण इंडिया गठबंधन की ओर चले गए और इससे विपक्षी गठबंधन को चुनावों में बढ़त हासिल करने में मदद मिली।CG News : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पत्रकारों से चर्चा, बोले- बलौदाबाजार की घटना में कांग्रेस नेताओं का नाम लेने पुलिस दबाव बना रही है