नवरात्रि से पहले इस विभाग के संविदा कर्मचारियों के लिए आई खुशखुबरी, सरकार ने शुरू की तैयारी
भोपाल: मध्यप्रदेश में नियमितिकरण (Regularization) के लिए आंदोलन कर रहे अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers) की मांग पूरी होती नहीं दिख रही है। एमपी के 75 हजार अतिथि शिक्षकों के लिए नीतिगत निर्णय जल्द होने वाला है। फिलहाल 10 महीने के सेवाकाल पर सहमति बन चुकी है।
बता दें कि मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों ने न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि वह शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) के साथ D.Ed या B.Ed जैसी शैक्षणिक योग्यताएं रखते हैं और 3 साल से अधिक समय से स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। अतिथि शिक्षकों ने इस आधार पर खुद को नियमित शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की गुहार लगाई थी।
सीधे नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं
अतिथि शिक्षकों द्वारा दी गई याचिका पर कोर्ट ने निर्णय लिया और शिक्षा विभाग ने इस संबंध में एक नया आदेश जारी किया है। हालांकि, शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है। आदेश के अनुसार, शिक्षक बनने के लिए दो परीक्षाएं अनिवार्य हैं – पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) और दूसरी चयन परीक्षा। इन परीक्षाओं में सफल होने के बाद ही उम्मीदवारों को सरकारी शिक्षक पद पर नियुक्ति दी जाती है।
आरक्षण मिलने से बढ़ी नियुक्ति की संभावना
बता दें कि भले ही अतिथि शिक्षकों को इस आदेश से सीधे लाभ न मिला हो, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में 25% आरक्षण मिलने से उनकी नियुक्ति की संभावना बढ़ जाती है। अतिथि शिक्षक जो इस नियम के तहत आते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आगामी शिक्षक पात्रता परीक्षा और चयन परीक्षा में सफल हों, ताकि वह नियमित शिक्षक के रूप में सरकारी नौकरी हासिल कर सकें।
मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक नवीन आदेश स्पष्ट रूप से यह बताता है कि अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के लिए किसी विशेष छूट का प्रावधान नहीं है। हालांकि, उनके अनुभव और सेवाओं को मान्यता देते हुए उन्हें भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण दिया गया है। अतिथि शिक्षकों के लिए यह जरूरी है कि वे शिक्षक बनने की सामान्य प्रक्रिया का पालन करें और आगामी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करें।
इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है कि अतिथि शिक्षकों को नियमित पद पर आने के लिए अब मेहनत और तैयारी करनी होगी, लेकिन विभाग की ओर से दी गई छूट उनके लिए एक बड़ी राहत भी है। अब उन्हें परीक्षा की तैयारी में लग जाना चाहिए ताकि अपने अनुभव का पूरा लाभ उठा सकें और सरकारी शिक्षक बन सकें।बिहार में जितिया स्नान के दौरान 40 की मौत, अकेले औरंगाबाद में 8 बच्चों की जान गई डूबने से