देश के 77 फीसदी बच्चों को नहीं मिल रहा पोषक आहार, मांओं के अशिक्षित होने से भी पड़ रहा असर
भारत के 6-23 महीने की उम्र के लगभग 77 फीसदी से अधिक बच्चों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से सुझाया गया पोषक आहार नहीं मिल रहा है। देश के मध्य क्षेत्र में सबसे ज्यादा बच्चे इस न्यूनतम आहार मानक को पूरा नहीं करते हैं। दरअसल, डब्ल्यूएचओ एक बच्चे के आहार की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए न्यूनतम आहार विविधता (एमडीडी) स्कोर इस्तेमाल करने का सुझाव देता है।
जानकारी के अनुसार इसे तब विविधतापूर्ण माना जाता है, जब इसमें मां के दूध, अंडे, फलियां, मेवे, फल और सब्जियों सहित पांच या अधिक खाद्य समूह शामिल होते हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में 80 फीसदी से ज्यादा बच्चों के आहार में विविधता की कमी पाई गई। वहीं, सिक्किम और मेघालय ऐसे दो राज्य थे जहां 50 फीसदी से कम बच्चों में यह समस्या देखी गई। बता दें कि अध्ययन नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ है।
पिछले सालों में आया थोड़ा सुधार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान के लोगों सहित शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों का अध्ययन में पाया कि 2005-06 में, 87.4 फीसदी लोग विविधता से भरा भोजन नहीं खा रहे थे, लेकिन 14 वर्षों में इसमें मामूली सुधार आया है। अब 75% से अधिक आबादी विविधता भरा न्यूनतम आहार नहीं लेती है।
मांओं का अशिक्षित होने से पड़ रहा प्रभाव
मांओं के अशिक्षित होने से भी बच्चों पर पड़ रहा असर…शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अशिक्षित और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली मांओं के बच्चे जो आंगनवाड़ी या एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) केंद्रों पर परामर्श और स्वास्थ्य जांच के संपर्क में नहीं हैं, उनके विविधता में कमी वाला आहार लेने की संभावना अधिक है। एनीमिक होने या जन्म के वक्त कम वजन वाले बच्चों के भी विविधता वाला आहार न लेने की संभावना बढ़ जाती है।
मां के दूध और डेयरी उत्पादों की खपत में आई कमी
शोधकर्ताओं के मुताबिक, विटामिन ए से भरपूर फलों और सब्जियों की खपत में 7.3% बढ़ोतरी हुई। वहीं, फलों और सब्जियों की खपत में इसी दौरान 13% वृद्धि हुई। हालांकि, मां के दूध और डेयरी उत्पादों की खपत एनएफएचएस-3 के 87% से घटकर एनएफएचएस-5 में 85% पहुंच गई। यह 54% से घटकर 52% हो गई।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली करें बेहतर
शोधकर्ताओं ने बच्चों के आहार में विविधता की कमी से निपटने के लिए सरकार से एक व्यापक नजरिया अपनाने की मांग की है। इसके लिए एक बेहतर सार्वजनिक वितरण प्रणाली, गहन एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम, सोशल मीडिया का इस्तेमाल और स्थानीय प्रशासन के जरिये पोषण से जुड़े सुझाव दिए जाने की जरूरत बताई है।Diwali 2024 Sale: ₹10,000 से भी कम में खरीदें 55 इंच वाली बेस्ट 4K Smart TV, उठाएं दिवाली सेल का भरपूर फायदा