10 दिन, 100 घंटे की पूछताछ और CBI का शिकंजा… कोलकाता कांड में यूं घिरते गए पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है. उनसे पिछले 10 दिनों में 100 घंटे पूछताछ की जा चुकी है. इसके बाद शनिवार को सीबीआई ने उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं का एक मामला दर्ज कर लिया है.
सीबीआई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित एसआईटी से जांच अपने हाथ में ले ली है. इसके साथ ही सीबीआई दफ्तर में शनिवार को उनका पॉलीग्राफ टेस्ट किया गया, जिसमें उनका सच सामने आने की पूरी संभावना है.
हाई कोर्ट ने लेडी डॉक्टर से बलात्कार के बाद हत्या के मामले की जांच पहले सीबीआई को सौंप दी थी. इसके बाद व्यापक और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए संदीप घोष के वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी सीबीआई को सौंप दी. न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने कहा, “यह न्यायालय निर्देश देता है कि जांच को सीबीआई को सौंप दिया जाए, क्योंकि इस मामले में गंभीर आरोप शामिल हैं.”
कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे, जिन्होंने अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था और ईडी जांच की मांग की थी. अख्तर अली ने पिछले साल जुलाई में वेस्ट बंगाल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन न्याय नहीं मिल पाया था.
अख्तर अली ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, सरकारी धन के अनुचित उपयोग, इस्तेमाल किए गए खतरनाक जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की बिक्री और मौद्रिक लाभ के लिए अधिकारियों के तबादले के दावों की पुष्टि करने के लिए दस्तावेजी सबूत दिए थे. इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ-साथ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग पर ऐसी अवैध गतिविधियों के गंभीर प्रभाव का हवाला दिया गया था.
8-9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर का शव मिलने के बाद से ही संदीप घोष के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं. इस मामले में जूनियर डॉक्टरों के भारी दबाव के बाद ममता सरकार ने उन्हें उनके पद से हटाते हुए जांच के आदेश दिए थे. इस केस की जांच अपने हाथ में लेने के बाद सीबीआई उनसे लगातार पूछताछ कर रही है. इस केस में उनकी संदिग्ध भूमिका की भी सीबीआई जांच कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक, संदीप घोष से पूछा गया कि क्या उन्होंने मृतका का पोस्टमार्टम आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कराने पर जोर दिया था? क्या कहीं और इसकी अनुमति नहीं दी थी? सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज पहुंचकर पूर्व प्रिंसिपल की कार की तलाशी ली थी. उनके ड्राइवर से भी पूछताछ की गई. फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने उनकी कार की गतिविधियों का विवरण जानने के लिए उसकी जांच की थी.लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस: संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट खत्म, इन जगहों पर CBI ने की ताबड़तोड़ छापेमारी
डॉ. संदीप घोष से सीबीआई की पूछताछ जिन सवालों के इर्द-गिर्द घूम रही है, वो कुछ तरह हैं…
1. आपको अपने अस्पताल में किसी डॉक्टर की हत्या होने की जानकारी कब और किससे मिली?
2. जब आपको पता चला कि आपके अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की हत्या हुई है, तो आपने क्या किया?
3. आपको जब महिला डॉक्टर की मौत के बारे में बताया गया था, उसके बाद आप कहां गए और क्यों गायब हो गए?
4. क्या आपने यह जानने की कोशिश की थी कि पीड़िता में जान बची है या नहीं?
5. जब मौत आपके अपने अस्पताल परिसर में हुई, तो आपने तुरंत एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई?
6. आप क्राइम सीन की रक्षा का प्रोटोकॉल जानते हैं. आपने इसके लिए कोई उपाय क्यों नहीं किया?
7. मौत की खबर मिलने के के बाद आपने किस-किससे बात की थी?
8. आपको आरोपी संजय रॉय के बारे में कैसे पता चला था?
9. क्या आप संजय रॉय से कभी मिले हैं या फोन पर बात की है?
10. जब अस्पताल में हत्या हुई, तो आपने क्राइम सीन के पास रिनोवेशन की अनुमति क्यों दी?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी संदीप घोष की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे और अस्पताल प्रशासन से लेकर सरकार तक को फटकार लगाई थी. उन पर लावारिस लाशों का सौदा, बायोमेडिकल कचरे की बिक्री, नियुक्तियों में अनियमितता और कमीशन-रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं. यहां तक आरोप है कि संदीप घोष कई अनैतिक गतिविधियों में भी शामिल थे. जैसे छात्रों को जानबूझकर फेल किया जाता था.
इसके बाद उन्हें पास कराने के नाम पर पैसे लिए जाते थे. मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने यह भी दावा किया है कि महिला डॉक्टर से हुई दरिंदगी का मुख्य आरोपी संजय रॉय, संदीप घोष की सुरक्षा में शामिल था. वो उनके बाउंसर के रूप में काम करता था. यानी आरोपी संजय और संदीप घोष के बीच सीधे लिंक होने के आरोप लगने से यह पूरा केस गहराता जा रहा है.
अख्तर अली ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”इस दरिंदगी के बाद जब मैंने आरोपी संजय रॉय की तस्वीर देखी तो याद आया कि ये शख्स संदीप घोष के चार बाउंसरों में शामिल था. मैंने इसे संदीप घोष के साथ देखा है. जब मैं वहां कार्यरत था, तब सेमिनार रूम या नर्सिंग स्टाफ के पास रात में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं होती थी. हर प्वाइंट पर सुरक्षा होती थी. सीसीटीवी कैमरे लगे थे.”